अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई आज से, 5 प्वाइंट में समझें पूरा मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराये जाने की 25वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर आज (5 दिसंबर) से अंतिम सुनवाई शुरू होने की संभावना है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय विशेष पीठ चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई करेगी.
हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के सेन्ट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान की पेशकश करते हुये न्यायालय से कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल से 'उचित दूरी' पर मुस्लिम बहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है.
1992 को गिराया गया था विवादित ढ़ांचा
हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड के इस हस्तक्षेप का अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विरोध किया. इसका दावा है कि उनके दोनों समुदायों के बीच पहले ही 1946 में इसे मस्जिद घोषित करके इसका न्यायिक फैसला हो चुका है जिसे छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया गया था. यह सुन्नी समुदाय की है.
हाल ही में एक अन्य मानवाधिकार समूह ने इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुये शीर्ष अदालत में एक अर्जी दायर की और इस मुद्दे पर विचार का अनुरोध करते हुये कहा कि यह महज संपत्ति का विवाद नहीं है बल्कि इसके कई अन्य पहलू भी है जिनके देश के धर्म निरपेक्ष ताने बाने पर दूरगामी असर पडेंगे.
योगी सरकार ने अंग्रेजी में पेश की दलीलें
शीर्ष अदालत के पहले के निर्देशों के अनुरूप उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन दस्तावेज की अंग्रेजी अनुदित प्रति पेश कर दी हैं जिन्हें वह अपनी दलीलों का आधार बना सकती है. ये दस्तावेज आठ विभिन्न भाषाओं में हैं.
दोनों पक्षों से है वकीलों की फौज
भगवान राम लला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण और सी एस वैद्यनाथन तथा अधिवक्ता सौरभ शमशेरी पेश होंगे और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश होंगे.
अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाडे़ का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, राजीव धवन और सुशील जैन करेंगे.
यूपी सरकार से मांगी गई थी विवाद के साक्ष्यों से जुड़े दस्तावेज
शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि 10 सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट में मालिकाना हक संबंधी विवाद में दर्ज साक्ष्यों का अनुवाद पूरा किया जाये. न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि वह इस मामले को दीवानी अपीलों से इतर कोई अन्य शक्ल लेने की अनुमति नहीं देगा और उच्च न्यायालय द्वारा अपनाई गयी प्रक्रिया ही अपनायेगा.
इनपुट: भाषा
Source : ZeeNews

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