पत्थर मारने वालों को देते हैं घर और नौकरी, हमारे लिए उनके पास समय तक नहीं – हुतात्मा का परिवार


जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन में हुतात्मा हुए भारतीय सैनिक हवलदार रोशन लाल के परिवार वाले जम्मू कश्मीर सरकार से नाराज हैं । इनका आरोप है कि राज्य सरकार इनकी जरा सा भी सुध नहीं ले रही है ।
हवलदार रोशन लाल की बेटी अर्तिका ने कहा कि उनके पिता की शहादत के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने उनके परिवार को कोई फोन भी नहीं किया । मासूम अर्तिका ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मुफ्ती जी को तो केवल कश्मीर नजर आता है, उन्हें जम्मू नहीं दिखता, उनसे हम क्या उम्मीद करें, हमें कोई फोन नहीं आया ।”
बच्चे ही नहीं हवलदार रोशन लाल के घर के बुजुर्ग भी सरकार के रवैये से नाराज हैं । रोशन लाल के रिश्तेदार मुरारी लाल ने कहा कि, यहां पर केवल सियासत हो रही है । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास सेना पर पत्थर बरसाने वाले लोगों को बसाने के लिए समय है परंतु हुतात्मा होने वाले लोगों से मिलने के लिए राज्य सरकार के पास कोई समय नहीं है । मुरारी लाल ने कहा, “केवल सियासत हो रही है यहां, ये पत्थर मारने वाले को नौकरी देते हैं, घर बना के देते हैं, परंतु जो बच्चे हुतात्मा होते हैं, उनके लिए बिलकुल समय नहीं है ।”
हवलदार रोशनलाल ४ फरवरी को राजौरी में भीमबेर गली सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई उकसावे वाली फायरिंग में हुतात्मा हो गये थे । इस दौरान कैप्टन कपिल कुंदू, राइफलमैन रामअवतार, राइफलमैन शुभम सिंह ने भी अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी । कैप्टन कुंदू हरियाणा के रहने वाले थे, जबकि  २७ वर्षीय राइफलमैन रामअवतार ग्वालियर के बाराका गांव के, २३ वर्षीय शुभम सिंह जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ के और ४३ वर्षीय हवलदार रोशन लाल जम्मू एवं कश्मीर के सांबा के रहने वाले थे ।
स्त्रोत : जनसत्ता

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