३६ वर्ष बाद सेना की मदद से कश्मीर में पुनः स्थापित की गई चोरी हुई मां भद्रकाली की मूर्ति !


श्रीनगर : ३६ साल बाद सेना ने कश्मीर के मंदिर में मां भद्रकाली की मूर्ति की पुनर्स्थापना की है ! कश्मीर के हंदवाडा जिले के ऐतिहासिक मंदिर में मूर्ति की स्थापना की गई है । मूर्ति की स्थापना के दौरान गांव में उत्सव का वातावरण देखने को मिला । मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड भी पहुंची ।

बता दें कि, यह मूर्ति १९८१ में मंदिर से चुरा ली गई थी । मूर्ति को ढूंढने के बाद उसे १९९९ से जम्मू में ही रखा गया था । मंदिर की सुरक्षा में तैनात २१ आरआर ने नवरात्रि के मौके पर मूर्ति को फिर से मंदिर में स्थापित करवाया । मंदिर की सुरक्षा के लिए सेना के सैनिकों की तैनाती भी की गई है ।

नवरात्री के पहले दिन की गई स्थापित

जानकारी के अनुसार भूषण लाल पंडित ने सेना की ७ सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स के ब्रिगेडियर डीआर राय से इस प्रतिमा को कश्मीर में पुनर्स्थापित कराने का आग्रह किया था । जिसके बाद ब्रिगेडियर ने कहां था कि, नवरात्र के पहले दिन मूर्ति की स्थापना की जाएगी । इसके बाद १८ मार्च २०१८ को नवरात्री के पहले दिन इस मूर्ति को पुनर्स्थापित किया गया । इस खास अवसर पर सेना की ओर से जीओसी मेजर जनरल एके सिंह समेत राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के सभी सैनिक भी उपस्थित रहे । मूर्ति की स्थापना के बाद मीडिया से बात करते हुए जीओसी ने कहा कि, मूर्ति की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में सेना की २१ राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट के सैनिकों को तैनात किया जा रहा है । ये नियमित रूप से अपनी सेवाएं देंगे ।
छायाचित्र सौजन्य : शंखनाद

१८वीं सदी में की गई थी स्थापना

इस मंदिर से एक रोचक कहानी जुडी है ! कहा जाता है कि १८९१ में हंदवाडा के निवासी सरवा वायू को माता ने सपने में दर्शन दिये और उसे बताया कि खान्यार के पास एक गुफा में माता की मूर्ति है । उन्होंने ही वो मूर्ति वहां से निकलवाकर हंदवाडा में मंदिर बनवाकर स्थापित करवाई । बाद में १९८१ में मूर्ति चोरी हो गई और इसे १९८३ में इसे खोज निकाला गया । मूर्ति को भूषण लाल पंडित अपने साथ जम्मू ले आए और उन्होंने इतने वर्षों तक मां की पूजा अर्चना की । वर्ष २०१७ में उन्होंने ७ आरआर के ब्रिगेडियर डी आर राय से मिलकर मूर्ति को फिर से मंदिर में स्थापित करने के लिए सहयोग मांगा । सेना की मदद से ३६ वर्षों के बाद एक बार फिर माता को उनके मंदिर में विराजमान किया गया !
स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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