नई देहली : केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने शनिवार को संविधान के तहत लोगों को मिले अधिकारों को लेकर कहा कि, देश में अल्पसंख्यकों को जो अधिकार मिले हैं, वे बहुसंख्यकों के पास भी नहीं हैं । साथ ही उन्होंने कहा कि, पिछले कुछ दशकों में संविधान और कानून की जो व्याख्या की गई है उस पर दोबारा ध्यान देने की आवश्यकता है !
देहली यूनिवर्सिटी में बी. आर. आंबेडर की १२७ वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शनिवार को सत्यपाल सिंह ने कहा, ‘पिछले दो दशकों में जिस तरह से संविधान और कानून की व्याख्या की गई है उसे देखे जाने की आवश्यकता है । हमें इसे देखने दें !’ उन्होंने आगे कहा, ‘संविधान में अल्पसंख्यकों को जो अधिकार मिले हैं, फिर भी वे खुद को ठगा महसूस करते हैं । उन्हें अपने संस्थान और धार्मिक संस्थान चलाने का अधिकार है, जबकि बहुसंख्यकों को नहीं है । कानून सबके लिए बराबर है !’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ७० साल पहले संविधान को अंगीकार किया गया है, परंतु हम इसका समावेशन नहीं कर पाएं हैं । उन्होंने कानून में संशोधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, ‘रूल ऑफ लॉ का अर्थ है कि, कानून सबके लिए बराबर है । हालांकि, १०० रुपये और १०० करोड रुपये चुरानेवाले को एकसमान दंड मिलता है ! क्या यह समाज को न्याय दिला रहा है ? मैं कहता हूं कि यह नहीं दिलाता । इसलिए कानून में संशोधन की आवश्यकता है !’
उन्होंने आगे कहा कि हाल के समय में कानून का पालन नहीं किया गया और काफी पक्षपात हुआ । राष्ट्र निर्माण के लिए किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए । केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आप एक लोकतांत्रित देश चाहते हैं, जहां हर कोई शिक्षा प्राप्त करे । हमारे पार ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून है, परंतु पिछले ८ सालों में हम इसे कितना लागू कर पाए हैं ? हम नहीं कर पाए, अभी भी लाखों बच्चे विद्यालय नहीं जाते !’
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
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