इंडोनेशिया में आज भी रामायण का इतना गहरा प्रभाव है कि देश के कई इलाकों में रामायण के अवशेष और पत्थरों तक की नक्काशी पर रामकथा के चित्र आसानी से मिल जाते हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित इंडोनेशिया की जनसंख्या तकरीबन २३ करोड है। यह दुनिया का चौथा सबसे अधिक जनसंख्यावाला देश है और साथ ही सबसे बडा मुस्लिम जनसंख्यावाला देश भी है।
साल १९७३ में यहां सरकार ने अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मलेन का आयोजन भी किया था। ये अपने आप में काफी अनूठा आयोजन था, क्योंकि घोषित रूप से कोई मुस्लिम राष्ट्र पहली बार किसी अन्य धर्म के धर्मग्रन्थ के सम्मान में इस तरह का कोई आयोजन कर रहा था। इंडोनेशिया में आज भी रामायण का इतना गहरा प्रभाव है कि देश के कई इलाकों में रामायण के अवशेष और पत्थरों तक की नक्काशी पर रामकथा के चित्र आसानी से मिल जाते हैं।
भारत और इंडोनेशिया की रामायण में थोडा अंतर है। भारत में राम की नगरी जहां अयोध्या है, वहीं इंडोनेशिया में यह योग्या के नाम से स्थित है। यहां राम कथा को ककनिन, या ‘काकावीन रामायण’ नाम से जाना जाता है। भारतीय प्राचीन सांस्कृतिक रामायण के रचियता आदिकवि ऋषि वाल्मिकी हैं, तो वहीं इंडोनेशिया में इसके रचयिता कवि योगेश्वर हैं।
इंडोनेशिया की रामायण २६ अध्यायों का एक विशाल ग्रंथ है। इस रामायण में प्राचीन लोकप्रिय चरित्र दशरथ को विश्वरंजन कहा गया है, जबकि उसमें उन्हें एक शैव भी माना गया है, यानी की वे शिव के अराधक हैं। इंडोनेशिया की रामायण का आरंभ भगवान राम के जन्म से होता है, जबकि विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण के प्रस्थान में समस्त ॠषिगणों की ओर से मंगलाचरण किया जाता है और दशरथ के घर इस ज्येष्ठ पुत्र के जन्म के साथ ही हिंदेशिया का वाद्य यंत्र गामलान बजने लगता है।
इंडोनेशिया की रामायण में नौसेना के अध्यक्ष को लक्ष्मण कहा जाता है, जबकि सीता को सिंता कहते हैं। हनुमान तो इंडोनेशिया के सर्वाधिक लोकप्रिय पात्र हैं। हनुमान की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी हर साल इस मुस्लिम जनसंख्यावाले देश के आजादी के जश्न के दिन यानी की २७ दिसंबर को बड़ी तादाद में राजधानी जकार्ता की सड़कों पर युवा हनुमान का वेश धारण कर सरकारी परेड में शामिल होते हैं। बता दें कि हनुमान को इंडोनेशिया में ‘अनोमान’ कहा जाता है।
पिछले साल ही इंडोनेशिया सरकार ने भारत के कई जगहों पर इंडोनेशिया की रामायण पर आधारित रामलीला का मंचन करवाने की मांग की थी। इंडोनेशिया के शिक्षा और सांस्कृतिक मंत्री अनीस बास्वेदन भारत आए थे और उन्होंइने भारतीय संस्कृाति मंत्री महेश शर्मा से मुलाकात कर यह कहा कि इंडोनेशिया चाहता है कि वह साल में कम से कम दो बार भारत में अपने यहां प्रचलित रामायण का भारत के कई शहरों में मंचन करे।
स्त्रोत : न्यूज 18
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