कोलंबो : देश में ईस्टर के दिन हुए हमलों के बाद श्री लंका ने बुर्के पर प्रतिबंध की योजना पर अमल की तैयारी शुरू कर दी है। जांच के संदिग्धों और अन्य सबूतों से हमले में बडी संख्या में महिलाओं के शामिल होने के संकेत मिले हैं। रविवार को हुए इन हमलों में अब तक ३५० लोगों की मौत हो गई है और लगभग ५०० लोग घायल हो गए।
सरकार मस्जिद अधिकारियों से कर रही है चर्चा
मीडिया में आई खबरों में मंगलवार को यह जानकारी दी गयी। डेली मिरर ने सूत्रों के हवाले से कहा कि सरकार मस्जिद अधिकारियों से विचार विमर्श करके इस कदम को लागू करने की योजना बना रही है। अखबार ने सूत्र के हवाले से कहा, ‘उन्होंने (सूत्र) कहा कि सरकार मस्जिद अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर इस कदम को लागू करने की योजना बना रही है और सोमवार को कई मंत्रियों ने इस मामले पर राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना से बात की।’
१९९० की शुरुआत तक नहीं था श्री लंका में बुर्के का चलन
ऐसा पाया गया कि १९९० की शुरुआत में खाडी युद्ध तक श्री लंका में मुस्लिम महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा में बुर्का और नकाब कभी शामिल नहीं रहे। खाडी युद्ध के समय चरमपंथी तत्वों ने मुस्लिम महिलाओं के लिए पर्दा शुरू किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा सूत्रों ने बताया कि डेमाटागोडा में घटनाओं में शामिल रही कई महिलाएं भी बुर्का पहनकर भाग गई। अगर श्री लंका ने बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिया तो वह एशिया, अफ्रीका और यूरोप में उन देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिन्होंने आतंकवादियों को पुलिस से बचने या विस्फोटकों को छिपाने के लिए बुर्का का उपयोग करने से रोकने के लिए ऐसा किया।
बता दें कि चाड, कैमरून, गाबोन, मोरक्को, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम और उत्तर पश्चिम चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है। एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों में बुर्के आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
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