नई देहली : सर्वोच्च न्यायलय के वकील अजय अग्रवाल जो बोफोर्स मामले में याचिकाकर्ता भी हैं, उन्होने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को एक पत्र लिखा है । बताया जा रहा है कि उन्होंने सीबीआय को बोफोर्स मामले में तत्काल जवाब फाइल करने का निर्देश देने का वेणुगोपाल से आग्रह किया है । पत्र में उन्होंने कहा है कि सीबीआय मामले से संबंधित सभी दस्तावेजों के साथ जवाब दें । बताया जाता है कि मामले की अगली सुनवाई २ फरवरी को होगी ।
मीडिया से बात करते हुए अजय अग्रवाल ने कहा कि, उस समय यूपीए सरकार और राजीव गांधी का परिवार इसमें शामिल था इसलिए वे इस मामले को अंदर ही अंदर सुलझा लेना चाहते थे । इसलिए उन्होंने मामले में कोई अपील नहीं की । मामले की सुनवाई २००९-१० में ही हो जाती परंतु यूपीए सरकार के षडयंत्र के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं हो सकी !
सीबीआय पर लगा चुके हैं न्यायलय को गुमराह करने का आरोप
इससे पहले भाजपा नेता व अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायलय में कहा था कि बोफोर्स मामले में सीबीआय ने देहली उच्च न्यायलय को गुमराह किया था । उनके आरोप के अनुसार एजेंसी (सीबीआय) ने न्यायालय में कहा था कि जांच में २५० करोड रुपये खर्च हो गए, जबकि आरटीआय के जवाब में बताया गया कि जांच का खर्च ४.७७ करोड था, इसमें देश व विदेश में वकीलों को दी फीस भी शामिल है ! आपको बता दें कि, सर्वोच्च न्यायलय के अधिवक्ता अजय अग्रवाल जिन्होंने भाजपा के टिकट पर कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरोध में रायबरेली से २०१४ में चुनाव लडा था । उन्होंने सर्वोच्च न्यायलय को बताया कि बोफोर्स मामले में सीबीआय ने उच्च न्यायलय में गलत बयानी की !
आरटीआय के जवाब का दिया था हवाला
अग्रवाल की याचिका सर्वोच्च न्यायलय ने १८ अक्टूबर २००५ को स्वीकृत की थी । उसी वर्ष ३१ मई को उच्च न्यायलय ने यूरोप में रह रहे उद्योगपतियों व हिंदुजा बंधुओं के विरुद्ध आरोप खारिज कर दिए थे । सीबीआय ९० दिनों के अंदर निर्णय को चुनौती देने में नाकाम रही, तब अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दाखिल की थी । उनका कहना है कि २०११ में आरटीआय के एक जवाब में उन्हें बताया गया कि जांच में कुल ४.७७ करोड रुपये खर्च हुए थे । देहली उच्च न्यायलय के तत्कालीन जज आरएस सोढी ने हिंदुजा बंधुओं श्रीचंद, प्रकाशचंद व गोपीचंद समेत बोफोर्स कंपनी के विरुद्ध लगाए आरोप खारिज करने के साथ सीबीआय को इस बात के लिए लताड लगाई कि जनता की गाढी २५० करोड की कमाई को खर्च करने के बाद भी कुछ प्राप्त नहीं किया जा सका !
क्या है बोफोर्स मामला ?
गौरतलब है कि १४३७ करोड की डील भारत व स्वीडन की हथियार कंपनी एबी बोफोर्स के बीच २४ मार्च १९८६ में हुई थी । १६ अप्रैल १९८७ को स्वीडन के रेडियो ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि डील को सिरे चढ़ाने के लिए भारत में राजनेताओं के साथ नौकरशाहों को भारी भरकम रिश्वत दी गई है ! २२ जनवरी १९९० को सीबीआय ने मामला दर्ज करके जांच शुरू की थी । मामले ने इतना तूल पकडा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पडी थी !
स्त्रोत : जागरण
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