नई देहली : पाकिस्तान एक आेर जहां संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों से भारत के साथ बातचीत के जरिए सीमा पर तनाव समाप्त करने की बात करता है, दूसरी आेर बॉर्डर पर स्नाइपर शूटर की तैनाती कर रहा है । भारतीय सेना की चौकसी के चलते पाकिस्तान को भारतीय सीमा में आतंकी भेजने में दिक्कत होने लगी तो उसने भारत को परेशान करने का नया तरीका ढूंढ लिया है । सूत्रों का कहना है कि, पाकिस्तान उत्तरी कश्मीर के केरन सेक्टर से जम्मू में पलांवाला तक नियंत्रण रेखा पर १५० से ज्यादा स्नाइपर शूटर तैनात कर दिए हैं । पिछले एक साल में इन स्नाइपर्स ने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया है । स्नाइपर्स की इस टीम का नाम ‘बैट’ (बॉर्डर एक्शन टीम) रखा गया है ।
स्नाइपर शूटर को एक लाख रुपए तक ईनाम देता है पाकिस्तान
पाकिस्तान इन स्नाइपर शूटरों की खास खातिरदारी करता है । इन्हें सैलरी देने के साथ एक भारतीय को गोली मारने के एवज में ईनाम भी देता है । ईनाम की राशि ५० हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक होती है । यह राशि भारतीय सेना के जवानों की रैंक के हिसाब से तय होती है । अगर कोई शूटर भारतीय सेना के किसी अफसर को निशाना बनाता है तो उसे अधिकतम ईनाम दिया जाता है ।
भारतीय सेना को काफी नुकसान पहुंचा रहे स्नाइपर शूटर
पिछले एक साल में पाकिस्तान का स्नाइनपर शूटर वाला प्लान काफी हद तक सफल रहा है । पिछले एक साल के दौरान लगभग ३२ सैन्यकर्मी पाकिस्तानी गोलीबारी में हुतात्मा हुए हैं । इनमें लगभग डेढ दर्जन भारतीय जवानों को पाकिस्तानी चौकियों में बैठे स्नाइपर शूटरों ने ही निशाना बनाया है । मंगलवार को टंगडार में हूतात्मा हुए बीएसएफ कर्मी एसके मुरमु को भी स्नाइपर शूटर ने ही निशाना बनाया था । सूत्रों का कहना है कि, टारगेट तय करने में पाकिस्तानी सेना इन स्नाइपर शूटरों की मदद करते हैं ।
अमेरिकी राइफलों का करते हैं उपयोग
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने इन स्नाइपर शूटरों को अत्याधुनिक राइफल दिए हैं, जिसमें अधिकतर अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रिया के बने होते हैं । इन्हें थमाए जाने वाले राइफल में इस बात का ख्याल रखा जाता है कि उसकी रेंज दूर तक हो । इंग्लैंड में निर्मित 50/12 ।7 एमएम कैलिबर की स्नाइपर राइफल की मारक क्षमता लगभग दो किलोमीटर है और यह काफी हल्की है । इसकी लंबाई करीब 60 इंच है । जब इसका बट फोल्ड किया जाता है तो यह 48 इंच में सिमट जाती है ।
इसके अलावा वह ऑस्टिया में बनी स्टेयर एसएसजी ।22 राइफल भी इस्तेमाल कर रहे हैं । यह बटन के सुराख को भी सटीक निशाना बना सकती है । इसके अलावा कुछ स्नाइपर्स रूस में 1960 में बनी द्रगनोव राइफल का भी प्रयोग करते हैं । स्नाइपर्स के पास मौजूद राइफल्स की औसतन मारक क्षमता 800 मीटर तक है । भारतीय सेना इन स्नाइपर्स से निपटने का तरीका ढूंढ रही है ।
स्त्रोत : झी न्युज
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