१८ साल वालों पर ज्यादा फोकस
नई देहली : कश्मीरी युवकों के आतंकी हमलों में शामिल होने से सुरक्षा बलों की मुश्किलें बढ गई हैं । दरअसल, सीमा पर बढती चौकसी के कारण से पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों की संख्या घट गई है । ऐसे में जैश और लश्कर जैसे आतंकी गुट अपने साथ जुडे स्थानीय युवाओं को आतंकी हमलों में शामिल कर उन्हें फिदायीन बना रहे हैं । यह खुलासा लेखपुरा एनकाउंटर के बाद पाकिस्तानी आतंकी के मोबाइल में मिले वॉट्सएप ग्रुप से हुआ था । १५ से १८ साल के युवाओं को लडकियों के बीच शोहरत और पैसों का लालच देकर आतंकी बनने के लिए उकसाया जा रहा है ।
स्लीपर सेल को आतंकी बनाया जा रहा है
नई रणनीति के तहत घाटी में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद ने तीन से चार आतंकियों का फिदायीन ग्रुप तैयार किया है । इसमें एक या दो आतंकी जैश के और बाकी जम्मू-कश्मीर के स्थानिक युवा शामिल होते हैं ।
पहले इनका उपयोग बतौर स्लीपर सेल सिक्युरिटी फोर्सेस के कैंप की रेकी, वहां तैनात जवानों की संख्या और हमले के लिए चुने गए शहर में सुरक्षित ठिकाने मुहैया कराने के लिए होता था । अब इन्हें एके-४७ जैसे हथियारों की ट्रेनिंग देकर हमलों के लिए उपयोग किया जाने लगा है ।
सीआरपीएफ शिवीर पर कश्मीरी आतंकियों ने हमला किया
कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा के ऐसे ही एक मॉड्यूल का खुलासा ३१ दिसंबर को पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले के बाद हुआ था । इसमें तीन आतंकी मारे गए थे । इनमें एक पाकिस्तानी और बाकी कश्मीरी थे ।
करन नगर क्षेत्र में भी सीआरपीएफ कैंप पर हमले की कोशिश करने वाले दो आतंकियों के साथ भी दो और युवक मौके पर मौजूद थे । जो गोलिबारी में भाग खडे हुए थे । सीसीटीवी फुटेज और मौके से मिले सबूतों से इनके स्थानीय निवासी होने का इशारा करते हैं ।
१५ से १८ साल के युवाओं पर ज्यादा फोकस
लेखपुरा हमले में मारे गए आतंकी अब्दुल शाकूर की तलाशी के दौरान एक मोबाइल मिला था । इसमें पीओके और आजाद कश्मीर नाम के कई वॉट्सएप ग्रुप मिले थे ।
इनकी जांच से पता चला कि, पाकिस्तानी आतंकी १५-१८ साल के कश्मीरी युवाओं को लड़कियों के बीच शोहरत और पैसों का लालच देकर आतंकी बनने के लिए उकसा रहे हैं ।
सैन्य और पुलिस से जुडे कश्मीरी निशाने पर
सेना की उत्तरी कमान संभाल चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हूडा के अनुसार, आतंकवादी आम लोगों में डर पैदा करने के लिए खासतौर पर उन कश्मीरियों को निशाना बना रहे हैं जो सेना, पुलिस या फिर दूसरी सुरक्षा एजेंसियों से जुडें हैं ।
स्त्रोत : भास्कर
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