केंद्र सरकार एक प्लान पर विचार कर रही है जिसके तहत लगभग ३५० पूर्व कश्मीरी आंतकी रहे लोगों का उचित पुनर्वास किया जाएगा । इनमें वो लोग शामिल हैं जिन्हें कि पाक अधिकृत कश्मीर में वर्ष १९८९ से लेकर २००९ के बीच ट्रेनिंग दी गई थी । मगर वह राज्य सरकार की वर्ष २०१० में आई वापसी की पॉलिसी की वजह से देश लौट आए हैं । इन पूर्व आतंकियों की पत्नी और बच्चों को एक उचित लाभ देने पर विचार किया जा रहा है । यदि केंद्र इस प्लान को बना लेती है तो इससे उन बच्चों को नागरिकता मिल जाएगी जिनका जन्म पाक अधिकृत कश्मीर में हुआ था । इसके अलावा आतंकी की पत्नियों को भी भारत का नागरिक बनाया जा सकेगा । जम्मू और कश्मीर के लिए नियुक्त केंद्र के प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा पूर्व आतंकियों, उनके बच्चों और पत्नियों के आर्थिक पुनर्वास पर अध्ययन कर रहे हैं । जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार वर्ष २०१० तक नेपाल और बांग्लादेश के जरिए ३३७ पूर्व आतंकी अपने ८६४ परिवार के सदस्यों के साथ वापस राज्य लौटे हैं ।
गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पूर्व आतंकियों ने पाक अधिकृत कश्मीर को जम्मू और कश्मीर में एक बेहतर, शांतिपूर्ण जीवन जीने की अपेक्षा में छोड़ा था । वापस आए यह आतंकी राज्य में इस समय दयनीय जीवन जी रहे हैं क्योंकि उनके लिए किसी तरह का रोजगार या नौकरी नहीं है । उनकी पत्नी और बच्चे राज्यरहित लोग हैं जिन्हें कि भारत में आने से पहले अपना पाकिस्तानी पासपोर्ट नष्ट करना पड़ा था । उनकी नागरिकता पर अभी फैसला नहीं हुआ है । जिसकी वजह से वह राज्य की मूलभूत सुविधाओं जैसे कि स्कूल या कॉलेज में दाखिला लेना या जम्मू और कश्मीर से बाहर जाने के अयोग्य हैं ।
स्त्राेत : अमर उजाला
केंद्र सरकार जिस तरह नेपाल, पाक अधिकृत कश्मीर और बांग्लादेश से आए पूर्व आतंकीयों के परिवार को भारतीय नागरिकता देने का विचार कर रही है, तो पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से आए हिन्दू शरणार्थीआें को भारतीय नागरिकता कब देगी ?
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