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RSS के चिंतन शिविर में बोले भागवत- राष्ट्रीय चरित्र के बिना देश की प्रगति संभव नहीं


Publish Date:Sat, 10 Feb 2018 10:51 PM (IST)
RSS के चिंतन शिविर में बोले भागवत- राष्ट्रीय चरित्र के बिना देश की प्रगति संभव नहीं
आरएसएस के उत्तर पूर्व क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के चिंतन शिविर के समापन सत्र में मोहन भागवत ने कहा कि राष्‍ट्रीय चरित्र के बिना देश की प्रगति संभव नहीं है।
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। देश की प्रगति के लिए ठेका देने की आदत को छोडऩा होगा। यह सिर्फ किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह का दायित्व नहीं है। सबलोग तन, मन व धन से देशहित में काम करेंगे, तभी देश आगे बढ़ेगा। ये उद्गार आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत ने व्यक्त किए। वे शनिवार को संघ के कार्यकर्ताओं के चिंतन शिविर को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश की प्रगति किसी शॉर्टकट सिस्टम से सम्यक रूप में नहीं हो सकती है। यह मानकर कि प्रगति का ठेका देकर देश का विकास हो जाएगा, तो ऐसा सोचना उचित नहीं है।
सभी की भागीदारी होनी चाहिए
विश्व के बुद्धिजीवियों का एक ही मत है कि सद्गुण संपन्न होकर ही प्रगति संभव है। जब तक समाज के जन सामान्य मनुष्य में सद्गुणों का विकास नहीं होगा, उनमें राष्ट्रीय सोच पैदा नहीं होगी। वे जब देशहित में काम करेंगे, तभी उनमें राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण होगा। यह सिर्फ व्यक्ति या व्यक्ति समूह का दायित्व नहीं है, बल्कि तन, मन व धन से देशहित में काम करेंगे, तभी देश आगे बढ़ेगा।
समाज को कुटुम्ब समझें
स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि प्रत्येक कार्यकर्ता स्वयं के जीवन से समय निकाल कर समाज कार्य करे। समाज बंधुओं के प्रति अपनत्व का भाव लेकर गांव-गांव तक जाए। सभी को समाज कार्य के लिए प्रेरित करे। स्वयंसेवकों की ये जिम्मेदारी है कि वे अपने अनुकरणीय समाज सेवा का उदाहरण लोगों के समक्ष प्रस्तुत करें। कर्तव्यनिष्ठा, नेतृत्व, व्यक्तित्व, विवेक और भक्ति जैसे सद्गुण से अपने को संपन्न बनाएं। उन्होंने व्यक्तित्व विकास को बेहद महत्वपूर्ण बताया। ऐसा करने से ही समाज में योग्य परिवर्तन आएगा और देश सभी प्रकार से विवेक सम्मत दिशा में आगे बढ़ेगा।
खिचड़ी भोज का आयोजन
शनिवार को संघ के चिंतन शिविर में खिचड़ी भोज का आयोजन हुआ। भोजन परोसने की जिम्मेदारी भाजपा कार्यकर्ताओं की रही। बता दें कि भोजन परोसने की जिम्मेदारी प्रत्येक दिन संघ के अलग अलग आनुषंगिक संगठनों की है।

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