एक आेर सरकार बांग्लादेशी/ रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसा रही है वही दुसरी आेर शरणार्थी हिन्दुओं को पाकिस्तान वापस भेज रही है ! सरकार के इस दोगले बर्ताव के कारण आज पाक में हिन्दुआें की स्थिती जानवर से भी बदतर हो गर्इ है ! क्या रोहिंग्याओं को भारत में बसानेवाली सरकार को हिन्दुओं की जरा भी चिंता नहीं है ? यदि सरकार पाक के हिन्दुआें की मदत नही कर सकती तो उसे म्यानमार आैर बांग्लादेश के मुसलमानों की मदत करने का क्या अधिकार है ?
जोधपुर : राजस्थान बॉर्डर के पार पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिन्दुआें की जनसंख्या तेजी से समाप्त की जा रही है । यहां हिन्दुओं के जबरन धर्म परिवर्तन के मामले लगातार सामने आते रहे हैं । रविवार को भी यहां ५०० हिन्दुओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाना है । जो लोग पाकिस्तान छोडकर भारत आए थे, मगर किन्हीं कारणों से उन्हें वापस जाना पडा, उन परिवारों को खास तौर से निशाना किया जा रहा है । पिछले ३ वर्षों में भारत में शरण लेने आए १३७९ हिन्दुओं को पाकिस्तान लौटना पडा है ।
जबरन इस्माल कबूलने का दबाव
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में २५ मार्च को बडे स्तर पर हिन्दुओं को जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया जा रहा है । यहां ५०० हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन के लिए पर्चे भी बांटे जा चुके हैं ।इनमें ५ अगस्त १७ को डिपोर्ट किया गया ८० वर्षीय चंदू, उसकी पत्नी धामी, बेटा भगवान, बहू धरमी और बच्चे धीरो, मूमल, जयराम व कविता भी शामिल हैं । ये वो परिवार है जिसके लिए राजस्थान उच्चन्यायालय ने छुट्टी के दिन स्पेशल बेंच बैठाकर इनके डिपोर्ट आदेश पर स्टे भी दे दिया, परंतु आदेश तामील होता उससे चंद मिनट पहले उनकी ट्रेन पाकिस्तान सीमा में प्रवेश कर गई । अब इस परिवार पर इस्लाम कबूलने का दबाव बना हुआ है ।
बेटियों का बलात्कार होने से बचा जाएगा
सिंध के अवामी आवाज समाचारपत्र के संपादक रहे असद चांडियो ने धर्म परिवर्तन के इस जलसे को हिन्दुओं की लाचारी बताया । उन्होंने कहा, “मुझसे पूछो तो यही कहूंगा कि, मुस्लिम बनने के बाद उनकी बेटियां अगवा होने और सामुहिक बलात्कार से तो बच ही जाएंगी ।’ चांडियो पाक में लगातार हिन्दुओं की दुर्दशा पर लिखते रहे हैं । परंतु कट्टरपंथियों के जुल्मों के कारण उन्हें देश छोडकर अमेरिका में शरण लेनी पडी ।
हिन्दू न घर का है न घाट का : संगठन के अध्यक्ष
सीमा के इधर भारत में विस्थापितों के लिए संघर्ष करने वाले सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दूसिंह सोढा कहते हैं कि, पाकिस्तान का हिन्दू न घर का है न घाट का । वहां धर्म बदलने की मजबूरी, यहां रोजी-रोटी और न जाने कब खदेड दिए जाने का खतरा हर समय मंडराता है ।
भारत सरकार विस्थापित हिन्दुओं के पुनर्वास के नियम बनाती तो है, परंतु जिला स्तरों पर उनका पालन नहीं होता । इसलिए जो लौट रहे हैं, उनके पास धर्म बदलने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है ।
शादीशुदा करते हैं हिन्दू लडकियों का बलात्कार
मानवाधिकार संगठन से जुडे कृष्ण शर्मा और पाकिस्तानी हिन्दू परिषद के संरक्षक इन चीफ डॉ. रमेश वानकवानी लिखते हैं कि, यहां स्वेच्छा से कोई धर्मांतरित नहीं हुआ है । यहां के विवाहित मुस्लिम हिन्दू लडकियों का अपहरण करते हैं, उनका बलात्कार करते हैं और उन्हें धमकाते हैं । जिससे वे ये कहने लगे कि उन्होंने खुद ही धर्म परिवर्तन किया है ।
दक्षिण सिंध में सबसे ज्यादा हिन्दू रहते हैं, अधिकांश कृषि अाधारित बंधुआ श्रमिक है । शिक्षा, स्वास्थ्य या कोई भी बुनियादी सुविधाएं नहीं है, ऐसे गरीब लोग जमीदारों के लिए आसान लक्ष्य है ।
कई जगह हिन्दू ज्यादा, लेकिन जिंदगी अल्पसंख्यक
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन के स्तंभकार नाजिहा सईद अली ने हाल ही एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें बताया कि, राजस्थान से लगती सीमा पर २००० में जहां इक्का-दुक्का मदरसे थे, वे २०१५ से अचानक २० तक पहुंच गए हैं । ये मदरसे धर्म परिवर्तन कर नए मुस्लिमों के बच्चों की तालीम के लिए खुले हैं ।
कई संगठन कलमा पढने वालों को रहने के लिए अफोर्डेबल घर, घरेलू सामान, दहेज का सामान, काम करने के लिए सिलाई मशीनें, नहरों से खेती करने के लिए साल भर पानी का प्रलोभन भी दे रहे हैं । थारपारकर व उमरकोट में ऐसी कहानियां अक्सर दोहराई गई है ।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर
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