टीकमगढ : यह बात आपको कुछ अचरज में डाल सकती है कि बुंदेलखंड के टीकमगढ जिले में नंदनपुर (गोर) एक ऐसा गांव है, जहां न तो पुलिस की जरूरत है और न ही यहां चोरों का खौफ है। यही कारण है कि इस गांव के लोग बाहर जाने पर भी घरों में ताले लगाना आवश्यक नहीं समझते !
लोगों ने अपना रखी है रिसर्च तकनीक
टीकमगढ जिले के मोहनगढ थाने के अंतर्गत आता है नंदनपुर (गोर)। यादव बाहुल्य इस गांव में लगभग ५० घर हैं और आबादी लगभग ३०० है। यहां के हर घर में बोरवेल है। लोगों ने रिसर्च तकनीक को अपना रखा है जिससे जल संकट नहीं है। फसलों की पैदावार ठीक है और आपसी सामंजस्य भी है। यहां पर शराबबंदी और मांस बंदी पूरी तरह है। इस गांव को कई वर्षों से किसी भी तरह की पुलिस सहायता नहीं पड़ी !
गांव के भागीरथी यादव (६४) बताते हैं, पूर्वजों से सुना और उन्होंने स्वयं खुद देखा है कि उनके गांव में कभी झगड़ा नहीं हुआ अगर छोटा-मोटा झगड़ा हो भी जाता है तो उसे गांव के लोग आपस में निपटा लेते हैं और गांव में कोई भी शराब नहीं पीता है, इतना ही नहीं यहां मुर्गी-मुर्गा पालने से लेकर अंडा तक का उपयोग नहीं होता है !
गांव के लोगों ने रिसर्च करने की तकनीक को अपनाया है
वह कहते हैं, समस्या की सबसे बड़ी जड़ शराब है। पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा के कारण ही वर्तमान दौर में भी कोई शराब नहीं पीता। मांस का सेवन भी नहीं करता। सभी का जोर खेती पर है। बुंदेलखंड सूखा ग्रस्त है, मगर यहां पानी की ज्यादा तंगी नहीं है, फसलों की खेती भी आसानी से हो रही है क्योंकि गांव के लोगों ने रिसर्च करने की तकनीक को अपनाया है !
गांव की बुजुर्ग विमला देवी (६०) कहती हैं कि उनके गांव में शराब, मांस आदि का उपयोग न होने के कारण शांति का माहौल रहता है। महिलाओं को किसी बात की दिक्कत नहीं होती। यहां न तो छेड़छाड़ की घटनाएं होती है और न ही मारपीट की। आसपास के गांव में भले ऐसा होता रहे मगर उन्होंने अपने जीवन में ऐसा नहीं देखा !
उन्होंने कहा है कि यह गांव ऐसा है जहां पुलिस बुलाने की जरूरत नहीं होती है। लोग जब घर से बाहर जाते हैं तो ताला तक लगाना जरूरी नहीं समझते क्योंकि यहां कोई बदमाश प्रवृत्ति का है ही नहीं ! इसलिए चोरी का कोई डर नहीं।
पूर्वजों से मिले संस्कारों का असर हर वर्ग पर है
मोहनगढ थाने के प्रभारी गिरिजा शंकर वाजपेयी ने बताया, मेरी अभी हाल ही में यहां पदस्थापना हुई है, मगर यह बात सही है कि नंदनपुर में विवाद कम होते हैं। अब से दो साल पहले २०१६ में यहां केवल एक झगड़े का मामला सामने आया था।
गांव के युवा हरी सिंह (३०) कहते है, पूर्वजों से मिले संस्कारों का असर हर वर्ग पर है। यहां लोग नियमित रुप से रामायण पढते हैं। पढ़ाई पर भी ध्यान दिया जाता है। आपसी भाईचारा कायम है। यहां न तो चोरी होती है और न ही आज तक डकैती हुई ! स्थिति यह है कि लोग दूसरे को बताकर अपने घर में बगैर ताले लगाए चले जाते हैं !
स्त्रोत : ईनाडू इंडिया
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