
आजाद के अनुसार, “वो (कश्मीर पुलिस) भी कम दुश्मन नहीं है। उन्होंने भी कम ज्यादतियां नहीं कीं। मैं सलाम करता हूं उन पुलिसवालों को, जिन्होंने अपनी जानें दीं। पर उसमें भी कुछ नासूर ऐसे थे, जो अपने प्रमोशन और पैसों के लिए निहत्थे लोगों का कत्ल करते थे।”
आजाद ने आगे कहा कि कुछ जिलों से आफस्पा को हटाया जा सकता था, क्योंकि संप्रग शासन के दौरान ‘‘स्थितियां सुधरी’’ थीं। बता दें कि विवादित सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) सुरक्षा बलों को निर्बाध शक्तियां देता है, जिसके तहत वह किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं या किसी भी परिसर की तलाशी ले सकते हैं।
कांग्रेसी नेता ने आगे कहां कि, “प्रधानमंत्री और भाजपा इसके लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने ऐसी स्थिति बना दी है कि कश्मीरी और कश्मीरी नेता एक कोने में धकेल दिए गए हैं। उनकी आवाजें धमकियों एवं भय से इस कदर दबा दी गई हैं कि वह इस तरीके से बात करने पर मजबूर हैं।”
पत्रकारों से वह बोले- एक समय था जब (आफस्पा) हटाया जा सकता था…जिस तरीके से स्थिति तेजी से सुधर रही थी, आतंकवाद का ग्राफ अपने चरम से लगभग शून्य की आेर आ रहा था, जिससे महज कुछ महीनों में आफस्पा हटाया जा सकता था (राज्य से) या कम से कम कुछ जिलों से।’’
स्त्रोत : जनसत्ता
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