श्रीनगर : पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा बलों ने दहशतगर्दों के खिलाफ अभियान तेज किया है। इसका असर है कि खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का घाटी में कोई कमांडर बनने को तैयार नहीं है। लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने घाटी में आतंकवाद से निपटने के सवाल को लेकर यह बात कही। मीडिया से बात करते हुए ढिल्लन ने कहा, ‘जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ हमने जवाबी कार्रवाई की, जिससे ऐसी स्थिति बन गई है कि कोई भी इस आतंकी संगठन का नेतृत्व लेने को तैयार नहीं है।’
बुधवार को श्रीनगर में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेना की ओर से १५वीं कोर के कमांडर केजेएस ढिल्लन, सीआरपीएफ के आईजी जुल्फिकार हसन और जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी एसपी पाणी शामिल हुए। मीडिया से घाटी की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बात करते हुए जीओसी केजेएस ढिल्लन ने कहा कि पुलवामा के आतंकी हमले के बाद से सेना ने कश्मीर घाटी में अपनी कार्रवाई तेज की है। १४ फरवरी के बाद सेना ने घाटी में ४१ आतंकियों ढेर किया है, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के २५ आतंकी भी शामिल हैं। जीओसी ने बताया कि मारे गए आतंकियों में १३ पाकिस्तानी आतंकी भी शामिल हैं। इसके अलावा अलग-अलग कार्रवाई में सेना ने १२ आतंकियों को गिरफ्तार भी किया है।
२०१८ में २७२ आतंकी हुए थे ढेर
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि बीते साल २०१८ में सेना ने कश्मीर घाटी में कुल २७२ आतंकियों को ढेर किया था। इसके अलावा बडी संख्या में आतंकियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। इस कार्रवाई के बाद घाटी में आतंक का रास्ता चुनने वाले युवाओं की संख्या में काफी कमी भी आई, जो कि एक अच्छा संकेत है। बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ सैनिकों के एक काफिले पर हमला किया था। लगभग २५०० सैनिकों को लेकर जा रहे इस काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में ४० सीआरपीएफ सैनिक हुतात्मा हुए थे।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स
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