बालाकोट पर हमले के लिए छह इजराइली स्पाइस २००० पेनट्रेटर टाइप पीजीएम (प्रिसीजन गाइडेड म्यूनिशन) का उपयोग किया गया। इन छह पीजीएम ने बालाकोट आतंकी कॉम्पलेक्स में पांच ठिकानों को निशाना बनाया। ऐन वक्त पर एक पीजीएम मिराज २००० से अलग न हो सका जिस कारण उसका निशाना चूक गया !
एयर फोर्स ने पाकिस्तान के बालाकोट में २६ फरवरी को किए गए हवाई हमले का रिव्यू किया है। इसमें कहा गया है कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग कॉम्पलेक्स में कुल छह में पांच ठिकानों को निशाना बनाया गया !
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को एक सूत्र ने बताया कि एयरफोर्स की इस रिव्यू में हमलों की ताकत, कमजोरी और इससे सेना ने क्या सीखा, इसके बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि, निशाने पर अचूक वार करने के लिए और भी बेहतर हथियार हो सकते थे। साथ ही पाकिस्तान के प्रोपगैंडा युद्ध को जीतने के लिए फीडबैक लूप को और भी प्रभावी बनाया जा सकता था। हमले की मुकम्मल तैयारी, गोपनीयता, पायलटों की दक्षता और ठिकानों पर अचूक हमले को लेकर सेना की काफी तारीफ की गई है। सूत्रों के अनुसार, बालाकोट पर हमले के लिए छह इजराइली स्पाइस २००० पेनट्रेटर टाइप पीजीएम (प्रिसीजन गाइडेड म्यूनिशन) का उपयोग किया गया। इन छह पीजीएम ने बालाकोट आतंकी कॉम्पलेक्स में पांच ठिकानों को निशाना बनाया। ऐन वक्त पर एक पीजीएम मिराज २००० से अलग न हो सका जिस कारण उसका निशाना चूक गया। इसके पीछे मिराज का ३५ साल पुराना विमान होने का कारण बताया जा रहा है जिसके नेविगेशन सिस्टम में भी कोई तात्कालिक चूक रह गई हो। इसका कारण यह बताया गया है कि पीजीएम और मिराज की टाइमिंग में शायद कोई अंतर आ गया जिस कारण पीजीएम की फायरिंग में गडबडी सामने आई !
स्पाइस २००० के अलावा इंडियन एयरफोर्स ने क्रिस्टल मेज एजीएम १४२ का प्रयोग किया। हालांकि यह ठीक से काम न कर सका क्योंकि पायलट को निशाने के ऊपर बादल की मोटी परतें दिखीं जिससे उन्हें टारगेट एरिया पहचानने में चूक हो गई। निशाने पर हमले का साफ साफ वीडियो इमेज अगर क्रिस्टल इमेज से प्राप्त हुआ होता तो एयरफोर्स को भी कोई अडचन नहीं आती लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा नहीं हो सका। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसी कमजोरी को दुनिया में उछालने का काम किया क्योंकि उन्होंने सबूत के नाम पर धुंधली तस्वीरें मिलने का हवाला दिया !
सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमने अपना लक्ष्य पा लिया और छह में से पांच ठिकानों पर वार किए। एक पीजीएम का उपयोग न हो सका लेकिन जिस प्रकार का प्रोपगैंडा युद्ध चलाया गया उससे पार पाना जरूरी था। इसके लिए हमें एक ऐसे हथियार की जरूरत थी जो टारगेट को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर देता और इस बरबादी की साफ तस्वीर और वीडियो भी हमें प्राप्त होने चाहिए थे !’
गौरतलब है कि पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर के हमले में सीआरपीएफ के ४० जवानों की मौत होने के बाद भारत ने कहा था कि उसने बालाकोट स्थित जैश के सबसे बडे ट्रेनिंग कैंप पर हमला कर वहां बहुत बडी संख्या में आतंकवादियों और उनके ट्रेनर को मार गिराया। वहीं पाकिस्तान ने माना था कि भारतीय वायु सेना के विमानों ने बालाकोट में हमला किया था। उसने दावा किया कि पाकिस्तानी विमान के खदेडने पर भारत के लडाकू विमान वापस लौट गए थे और जमीनी स्तर पर कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि भारतीय वायु सेना प्रमुख बी.एस. धनोआ ने कहा कि वायु सेना के विमानों ने अपने लक्ष्यों पर हमला कर दिया था।
इससे पहले न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट दी थी कि बालाकोट में निशाना बनाई गई इमारतें बिना किसी क्षति के वहीं खडी दिख रही हैं। उसने कहा कि हमले के चार दिन बाद चार मार्च को घटनास्थल पर कम से कम छह इमारतें दिख रही थीं और तस्वीर उस स्थान की अप्रैल २०१८ में सेटलाइट से ली गई तस्वीर जैसी लग रही है। सैनफ्रांसिस्को स्थित प्लेनेट लैब्स इंक की ओर से ली गई तस्वीरें सबसे पहली हाई-रिजोल्यूशन सेटलाइट तस्वीरें हैं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और ७२ सेंटीमीटर तक छोटी वस्तु को देख सकती हैं !
स्त्रोत : आज तक
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