पश्चिम बंगाल में भाजपा के बढते प्रभाव से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घबरा गई हैं। हार के डर से राज्य में मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के लिए उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस अब विदेशी कलाकार की मदद ले रही है। बांग्लादेशी कलाकार फिरदौस ने रविवार, १४ अप्रैल को उत्तरी दीनाजपुर जिला के रायगंज क्षेत्र में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। फिरदौस से रोडशो करा कर टीएमसी उत्तरी दीनाजपुर में ५० प्रतिशत मुस्लिमों मतदाताओं को आकर्षित करना चाहती है। रायगंज की रैली और रोडशो में फिरदौस के साथ-साथ टॉलीवुड एक्टर पायल सरकार और अंकुश भी शामिल हुए। बांग्लादेशी कलाकार के प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल पहुंचने पर भाजपा ने आपत्ति जताई है। भाजपा राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘कोई भारतीय पार्टी कैसे एक विदेशी नागरिकता वाले शख्स को अपने राजनीतिक रोड शो के लिए बुला सकती है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं सुना गया। ममता बनर्जी कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को टीएमसी का प्रचार करने के लिए बुला लेंगी। भारतीय लोकतंत्र के महापर्व में हम एक बांग्लादेशी फिल्म स्टार का शामिल होने की हम निंदा करते है।’
News18 की खबर के अनुसार पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता आम चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या करीब २.४७ करोड है, जो कुल जनसंख्या का २७.५ प्रतिशत है। अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या राज्य के मुर्शिदाबाद इलाके में ६७ प्रतिशत, मालदा में ५२ प्रतिशत और उत्तर दिनाजपुर में ५१ प्रतिशत है।
मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ममता बनर्जी कई मौकों पर दिखा चुकी हैं कि वह कुछ भी कर सकती हैं
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर हिन्दुओं की आस्थाओं पर आघात करने से भी नहीं हिचकती हैं। मुस्लिम वोट के लिए ममता बनर्जी हिन्दू देवी-देवताओं को बांटने में भी पीछे नहीं रहती। हिन्दुओं को बांटने के लिए ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा कि हम दुर्गा की पूजा करते हैं, राम की पूजा क्यों करें ? झरगाम की एक सभा में ममता ने कहा कि, ‘भाजपा राम मंदिर बनाने की बात करती है, वे राम की नहीं रावण की पूजा करती है। परंतु हमारे पास हमारी अपनी देवी दुर्गा है। हम मां काली और गणपति की पूजा करते हैं। हम राम की पूजा नहीं करते।’
मोहर्रम में जुलूस निकले तो परंपरा, रामनवमी पर निकले संप्रदायवाद
सनातन संस्कृति में शस्त्रों का विशेष महत्त्व है। अलग-अलग पर्व त्योहारों पर धार्मिक यात्राओं में तलवार, गदा लेकर चलने की परंपरा रही है, परंतु पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धार्मिक यात्राओं और शस्त्र को भी साम्प्रदायिक और सेक्यूलर करार दे दिया है। गौरतलब है कि जब यही शस्त्र प्रदर्शन मोहर्रम के जुलूस में निकलते हैं तो सेक्यूलर होते हैं, परंतु रामनवमी में निकलते ही साम्प्रदायिक हो जाते हैं।
राम के नाम से ममता की नफरत कई बार हो चुकी है जाहिर
ममता बनर्जी कई बार हिन्दू धर्म और भगवान राम के प्रति अपनी असहिष्णुता जाहिर करती रही हैं। हालांकि कई बार न्यायालय ने उनकी इस कुत्सित कोशिश को सफल नहीं होने दिया है। वर्ष २०१७ में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने २२ मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु
भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, परंतु मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।
हिन्दुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं ममता बनर्जी
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है कि ममता बनर्जी ने हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया है। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, २०१७ में कलकत्ता उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिन्दुओं से नफरत जाहिर होता है। न्यायालय ने तब कहा था, ‘‘आप दो समुदायों के बीच दरार उत्पन्न क्यों कर रहे हैं ? दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्हें साथ रहने दीजिए।”
दशहरे पर शस्त्र यात्रा निकालने की ममता ने नहीं दी थी अनुमति
हिन्दू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। परंतु मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिन्दुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिस करती रही हैं। सितंबर, २०१७ में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की अनुमती नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि न्यायालय के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।
हनुमान जयंती पर निर्दोषों को किया गिरफ्तार, लाठी चार्ज
११ अप्रैल, २०१७ को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवडी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ममता सरकार से हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम इस आयोजन की अनुमति को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए, परंतु पुलिस ने मना कर दिया। धार्मिक आस्था के कारण निकाले गए जुलूस पर पुलिस ने बर्बता से लाठीचार्ज किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। जुलूस में शामिल होने पर पुलिस ने १२ हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आर्म्स एक्ट समेत कई गैर जमानती धाराएं लगा दीं।
कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक
१० अक्टूबर, २०१६ को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिन्दुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है। बीरभूम जिले का कांगलापहाडी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में ३०० घर हिन्दुओं के हैं और २५ परिवार मुसलमानों के हैं, परंतु इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया।
ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा पर भी लगाया प्रतिबंध
एक आेर बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। ये मामला हावडा के एक सरकारी स्कूल का है, जहां पिछले ६५ साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, परंतु मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी में रोक लगा दी। जब स्कूल के छात्रों ने सरस्वती पूजा मनाने को लेकर प्रदर्शन किया, तो मासूम बच्चों पर डंडे बरसाए गए। इसमें कई बच्चे घायल हो गए।
ममता राज में घटती जा रही हिन्दुओं की संख्या
पश्चिम बंगाल में १९५१ की जनसंख्या के हिसाब से २०११ में हिन्दुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। २०११ की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू जनसंख्या ०.७ प्रतिशत कम हुई है तो वहीं केवल बंगाल में ही हिन्दुओं की जनसंख्या में १.९४ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की जनसंख्या में ०.८ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई है, जबकि केवल बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या १.७७ प्रतिशत की दर से बढी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढी है।
ममता राज के ८००० गांवों में एक भी हिन्दू नहीं
दरअसल ममता राज में हिन्दुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक क्रियाकलापों पर रोक के पीछे तुष्टिकरण की नीति है। परंतु इस नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के ३८,००० गांवों में ८००० गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां ४७ लाख मुस्लिम और २३ लाख हिन्दू, मालदा २० लाख मुस्लिम और १९ लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर १५ लाख मुस्लिम और १४ लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोडकर शहरों में आकर बस रहे हैं।
स्त्रोत : परफॉर्म इंडिया
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