आपने कई बार सुना होगा, खेल से जीवन में अनुशासन आता है। जीत-हार का जज्बा उत्पन्न होता है, जो जीवन की विकट परिस्थिति में भी हौसला देता है। यही जज्बा दिखाया है राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज और २०१४ में रांची के चर्चित घरेलू हिंसा, लव जिहाद और धर्मांतरण केस की पीडिता तारा शाहदेव ने। तारा जिन हालातों से घिरीं थी, वहां से निकल पाना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता। यह खेल का ही जज्बा था, जिसने तारा को न केवल लडने बल्कि एक बार फिर सम्मान से जीने का हौसला दिया।
तारा शाहदेव ने हाल ही में शूटिंग जज की परीक्षा पास कर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में जज और तकनीकी पदाधिकारी बनने की पात्रता प्राप्त की है। वह अभी जेएसएसपीएस में कोच हैं।
कोचिंग और शूटिंग परीक्षा में सफल
तारा बताती हैं कि एक खिलाडी होने के साथ इस खेल में भविष्य के लिए मैंने २०१७ में डी लाइसेंस कोचिंग कोर्स पूरा किया। अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन द्वारा २००७ के बाद भारत में यह परीक्षा हुई, जिसमें ३५ प्रतिभागी शामिल हुए थे। २० इसमें सफल हुए थे। तारा इस परीक्षा में सफल होनेवाली झारखंड की एकमात्र प्रतिभागी हैं।
क्या था तारा शाहदेव का मामला
तारा शाहदेव ने २०१४ में रंजीत कोहली (रकीबुल हसन) से शादी की थी। पुलिस को दिए बयान के अनुसार शादी के कुछ दिन बाद से ही उस पर अत्याचार होने लगे। तारा को कुछ दिन बाद पता चला कि उसके पति का नाम रंजीत सिंह भी नहीं है। तारा का आरोप है कि उसके साथ मारपीट होती थी और धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता था। एक दिन वह घर से भागने में सफल हो गई और फिर मामला सामने आया। जैसे-जैसे तफ्तीश आगे बढ़ी, बडे-बडे नाम सामने आने लगे। मामला तूल पकडने के बाद सीबीआई ने साल २०१५ में इस केस की जांच शुरू की थी। तारा आज भी मामले में गवाही के लिए न्यायालय जाती हैं।
खेल को ही बनाया सहारा
तारा कहती हैं कि मेरे साथ जो कुछ हुआ था, उसके बाद मेरे पास दो ही रास्ते थे। या तो मैं आत्महत्या कर लूं, या फिर न्याय के लिए लडूं। मैंने लडने का फैसला किया। काफी कठिनाई और दबाव का सामना किया, लेकिन कई लोगों का साथ भी रहा। तारा ने कानूनी लडाई लडते हुए २०१४ में ही शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। कुछ दिन बाद ही स्टेट चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन किया और पूर्वी क्षेत्र प्रतियोगिता में खेलने का अवसर प्राप्त किया।
स्त्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
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