गहलोत सरकार का वीर सावरकर द्वेष ? : स्कूल की किताबों में वीर सावरकर अब ‘वीर’ नहीं कहलाएंगे

June 14, 2019

राजस्थान में कार्यभार संभालने के छह महीने के अंदर ही अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य बोर्ड के बाद के छात्रों के लिए स्कूल पाठ्य पुस्तकों में कई बदलाव किए हैं। संशोधन ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों और एनडीए सरकार द्वारा अपने पहले कार्यकाल में लिए गए निर्णयों से संबंधित हैं। ताजा मामला राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी कि किताबों में किया गया है। जिसमें विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) के नाम के आगे से ‘वीर’ शब्द को हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि कक्षा १२वीं की इतिहास की किताब में सावरकर की भूमिका में संशोधन किया गया है।
राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (RBSE) के लिए छपी पुस्तकें राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) द्वारा बाजार में वितरित की गई हैं। यह परिवर्तन इस वर्ष १३ फरवरी को गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किया गया था जिससे यह अध्ययन किया जा सके कि राजनीतिक हितों की पूर्ति और इतिहास को विकृत करने के लिए स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पहले बदलाव किए गए थे या नहीं।
बता दें कि राजस्थान में नई किताब में अब वीर सावरक का नाम विनायक दामोदर सावरकर है। जिसमे लिखा गया है कि कैसे जेल में बंद होने के दौरान सावरकर ने अंग्रेजों को चार बार दया याचिका के लिए पत्र लिखा। यही नहीं दूसरी दया याचिका में उन्होंने खुद को पुर्तगाली बताया और साावरकर ने भारत को हिन्दू देश बनाने की दिशा में काम किया। इस किताबों में यह भी लिखा है कि सावरकर ने १९४२ में भारत छोडो आंदोलन का विरोध किया और पाकिस्तान के गठन का भी विरोध किया था।
नई छपी किताबों में सावरकर के बारे में बताया गया है कि कैसे सावरकर को ३० जनवरी १९४८ में गांधी की हत्या के बाद गोडसे को उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उनपर केस चला, बाद में उन्हें इस मामले से बरी कर दिया गया। नई किताबों में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध का भी नए तरीके से उल्लेख है।
स्त्राेत : जनसत्ता

Comments